‘लफ़्जों का सफ़र’: एक झलक
‘लफ़्जों का सफ़र’ सिर्फ कविताओं का संग्रह नहीं बल्कि मानवीय अहसासों और भावनाओं का पुलिंदा है । इसमें संकलित रचनाएँ नौ भागों में विभाजित हैं जो विभिन्न मनोभावों का प्रतिनिधित्व करती हैं ।
मकसद: इन रचनाओं का एक खास मकसद है, पाठकों को विषय-विशेष पर सोचने को बाध्य करना । कवयित्री का मानना है कि सही मायने में जिन्दगी वही है जिसका कोई मकसद हो –
खर्च हो रही यूँ ही जिन्दगी;
बे-मकसद की भागदौड़ में ।
मकसद कोई मिल जाये अब
तो कुछ पल मैं भी जी लूँ ।।
दर्द: दर्द वह मानवीय अहसास है जिससे कोई भी अछूता नहीं रह सकता । जहाँ दर्द का एहसास इंसान को बेचैन कर जिन्दगी में उथल–पुथल मचा देता है वहीं चंचल–शोख दिल को खामोशी की चादर में ढाँप देता है–
आँखों के ठहरे समंदर में इन दिनों,
एक दरिया सा बहता है ।
वाचाल है दिल-ए-नादाँ बहुत, मगर...
अकसर चुप-चुप सा रहता है ।।
दोस्ती: दोस्ती की अहमियत को भला कौन नकार सकता है । दोस्तों के साथ बिताए गए लम्हें हमेशा दिलों में ताजा रहते हैं -
कुछ चेहरे जो भुलाकर भी भुलाए न गए,
और कुछ पल जो बिताकर भी बिताए न गए
जिन्दगी के मुश्किल घड़ियों में,
मुस्कुराने के बहाने बन गए...
उलझन: जिन्दगी की खूबसूरती और चुनौतियों से दुविधा में घिरी नायिका जिन्दगी से मासूम सा प्रश्न करती है –
सराहूँ तुझे या,
मैं तुझसे गिला करूँ
तू ही बता ऐ जिन्दगी
मैं तुझसे कैसे मिला करूँ ?
आशा है ‘लफ़्जों का सफ़र’ के माध्यम से मकसद, दर्द, दोस्ती, प्यार, उलझन, प्रेरणा, मंथन, यादें और हास्य–व्यंग्य के भावों को शब्दों की माला में पिरोकर आपके समक्ष प्रस्तुत करने का मेरा यह प्रयास अपने मकसद में सफल होगा ।
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