विकास के लिए शांति जरुरी !
यह महसूस किया जा रहा है कि देश में धार्मिक कट्टरता और हिंसा बढ़ रही है जिससे पारस्परिक सौहार्द प्रभावित होता है। एक ओर प्रधानमंत्री विदेशों में भारत का सम्मान बढ़ाने का प्रयास करते दिखते हैं, दूसरी ओर उन्हीं के दल के कुछ लोग विवादास्पद बयान जारी कर घृणा बढ़ाने का काम कर देते हैं। हिंसा होती है जिसमें गौ रक्षकों द्वारा की गयी मोब लिंचिंग की घटनाएं होती हैं और भारत की ख्याति को धक्का लगता है।
देश ने दंगों का दंश झेला है। हम इसे और सहन नहीं कर सकते। दुःख इस बात का है कि हमारे राजनेता सत्ता के लालच में इस तनाव को हवा देते हैं जबकि देश की तरक्की व विकास, देश में शांति बरकरार रहने से ही संभव है। जहाँ आपसी तनाव और नफरत होगी वहां आप शांति की कल्पना नहीं कर सकते और जहाँ शांति नहीं, वहां विकास नहीं हो सकता। चूँकि देश को विकास चाहिए, युवकों को रोजगार चाहिए और ऐसा समाज चाहिए जहाँ बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले, महिलाएं भी आज़ादी से सुरक्षित रह सकें। इन सबके लिए शांति और सद्भाव जरुरी और पहली शर्त है, जिसे हम भूल रहे हैं।
Comments
Post a Comment