The book "Atmayen Bol Sakati Hain" with a tagline: the new stories unfolding within the mind by looking into outside world, is actually a reflection of our today's society. The characters of these stories are the people who live around us but we never pay our attention to them. This book is an extraordinary collection of vivid stories which depict life in different parts and among different social classes in India.
All the stories included in this book are different from each other with a range of diverse characters. Readers would love simple language and a new style of writing. Those readers who want to read new stories, for them, this book is an appropriate one.
कविता संग्रह प्रकाशित होने के बाद डॉ. ललितसिंह की दूसरी पुस्तक का नाम है ‘’आत्माएँ बोल सकती हैं‘’ । यह एक कहानी संग्रह है, पुस्तक के नाम से ऐसा लगता है जैसे किसी ‘भूतहा दुनिया’ में ले जाने वाली कोई किताब। मगर, ऐसा नहीं है, इस पुस्तक में 14 कहानियों को समेटा गया है, कहानियाँ जो हमारे आस-पास के संसार को बुनती है। डॉ. मुंशी प्रेमचंद्र की कहानियों के चर्चित होने का मुख्य कारण था उनकी कहानियाँ तत्कालीन सामाजिक परिवेश से जुड़ी होती थीं और कहानियों के पात्र भी समाज के प्रतिबिंब होते थे। ‘’आत्माएँ बोल सकती हैं‘’ पुस्तक की सभी कहानियाँ आज के समय में समाज का आइना दिखाती हैं। इन कहानियों के पात्र वे लोग हैं जो हमारे आस-पास रहते हैं। पाठक, कहानियों के साथ अपना तादात्मय पाते हैं।
पुस्तक हाथ में आते ही सबसे पहले दिमाग में प्रश्न आया कि पुस्तक का नाम‘’आत्माएँ बोल सकती हैं‘’ क्यों रखा गया है? शायद पाठकों को आकर्षित करने लिए....! लेकिन सभी कहानियों को पढ़ने के बाद पता चलता है कि लेखक अपने पात्रों को एक आत्मा मानकर चलता है जो प्रत्येक कहानी में अपने अनुभवों को पाठकों के साथ साझा करती दिखायी पड़ती हैं। इसलिए पुस्तक का नाम ‘’आत्माएँ बोल सकती हैं‘’ सार्थक प्रतीत होता है।
हिंदी कहानी संग्रह ‘’आत्माएँ बोल सकती हैं‘’ की टैगलाइन बाहर की दुनिया देख, मन के भीतर उपजती नई कहानियाँ सौ फीसदी सटीक है। समाज और आस-पास घटने वाली घटनाओं को केंद्र में रखकर रची गई कहानियों की विशेष बात यह है कि इनकी भाषा शैली सरल है जो सीधे पाठक के मन में उतरती है। लेखन में नई विधा का प्रयोग है, यह पाठक के स्वाद पर निर्भर करता है कि वे इस विधा को रुचिकर लेते हैं या अरुचिकर। ये कहानियाँ किसी एक पाठकवर्ग के लिए नहीं बल्कि यह हर उम्र के पाठकवर्ग के लिए रची गई हैं, जो पाठक नई कहानियाँ पढ़ना चाहते हैं और नई कहानियों की तलाश में हैं, उनके लिए यह पुस्तक उपयुक्त और बजट में भी है।
हिंदी कहानी संग्रह : आत्माएँ बोल सकती हैं
लेखक : डॉ. ललित सिंह राजपुरोहित
प्रकाशन : ब्लू रोज़ पब्लिशर्स, नई दिल्ली
कीमत : रु.149
पृष्ठ सं. 154
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