“
नशें
की
लत
से
बिखरते युवा ”
लेखिका - लवली निहालिया दूारा रचित एक नयी पुस्तक " नशे की लत से बिखरते युवा " जो जल्द ही " ब्लू रोज़ पब्लिशर्स " के माध्यम से एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हो कर आप सभी देशवासियों के समक्ष मातृभाषा हिंदी में प्रस्तुत होने जा रही है । यह कोई काल्पनिक घटना पर आधारित पुस्तक नहीं है बल्कि तेज़ी से गुजरते समय की इस भागदौड़ में देश की मुख्य धरा को कमज़ोर करती उस घातक औज़ार के विषय में बतलाती जो दिखने में नहीं परन्तु उसका तासीर औज़ारों के सामान जख़्म और दर्द देकर काम करता है, उन पर ध्यान आकर्षित करती हुई, वास्तविकता एवं वास्तविक स्थिति को दर्शाती और जीवन के अनुभव पर आधारित पुस्तक है ।
यह पुस्तक आप सभी को वो सब बातें सिखलाने पर विवश कर देगी जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य को अपने स्वार्थहित में करने से पहले अपने घर, परिवार, समाज के विषय में सोचने से पहले भी देश-हित के बारे में मजबूर-वश नहीं बल्कि ख़ुशी ख़ुशी दूसरे ( जो बोलने के लिए दूसरे हो सकते हैं परंतु हैं अपने ही) की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी को प्राथमिकता देते हुए कार्य करने लगेंगे । इसी विश्वास के साथ कि एक दम तो नहीं परन्तु धीरे-धीरे इस पुस्तक में लिखी उन बातों का असर अवश्य देश के जन जन पर होने लगेगा ।
यह पुस्तक आप सभी को वो सब बातें सिखलाने पर विवश कर देगी जिससे कोई भी व्यक्ति किसी भी कार्य को अपने स्वार्थहित में करने से पहले अपने घर, परिवार, समाज के विषय में सोचने से पहले भी देश-हित के बारे में मजबूर-वश नहीं बल्कि ख़ुशी ख़ुशी दूसरे ( जो बोलने के लिए दूसरे हो सकते हैं परंतु हैं अपने ही) की ख़ुशी में अपनी ख़ुशी को प्राथमिकता देते हुए कार्य करने लगेंगे । इसी विश्वास के साथ कि एक दम तो नहीं परन्तु धीरे-धीरे इस पुस्तक में लिखी उन बातों का असर अवश्य देश के जन जन पर होने लगेगा ।
प्रस्तुत पुस्तक " नशे की लत से बिखरते युवा " में लिखी गयी लवली निहालिया दूारा एक कविता के माध्यम से अपने सम्पूर्ण प्रिय देशवासियों को एक संदेश देने के साथ-साथ पुस्तक की विचारधारा जिस नींव पर अपने पैर जमाये हुए है को दर्शाती ....
"ना कर नशा तू
ना कर नशा तू।
यह खुद तो बर्बाद है ।
तेरी आबादी में
इसका ही तिरस्कार है ।
तू बचेगा , देश बचेगा
तू बढ़ेगा , देश बढ़ेगा।
दलदल हैं नशा
ना रख पैर इसमें ।
तू फँस गया तो
देश फँस जायेगा।
तू बिखर गया तो
देश बिखर जायेगा।
स्वार्थ-वश कर रहा
जो तू काम है।
देख सिर्फ और सिर्फ
देश का ही नुकसान है ।
जो खुद से है तू खेल रहा।
ना समझ देश को ही
है तू छल रहा।
सुन देश की तू शान है।
देश की तू जान है।
तेरी ही तरक्की में
देश की ही पहचान है।
नशा एक जाल है।
दुश्मनों की ही चाल है।
यह खुद तो ना आबाद है।
देश की धरोहर को करना बर्बाद है।
मेरी हाथ जोड़ यही एक फरियाद है।
ना कर नशा तू
ना कर नशा तू ।
यह खुद तो बर्बाद है।
तेरी आबादी में
इसका ही तिरस्कार है। "
: - लवली निहालिया
"ना कर नशा तू
ना कर नशा तू।
यह खुद तो बर्बाद है ।
तेरी आबादी में
इसका ही तिरस्कार है ।
तू बचेगा , देश बचेगा
तू बढ़ेगा , देश बढ़ेगा।
दलदल हैं नशा
ना रख पैर इसमें ।
तू फँस गया तो
देश फँस जायेगा।
तू बिखर गया तो
देश बिखर जायेगा।
स्वार्थ-वश कर रहा
जो तू काम है।
देख सिर्फ और सिर्फ
देश का ही नुकसान है ।
जो खुद से है तू खेल रहा।
ना समझ देश को ही
है तू छल रहा।
सुन देश की तू शान है।
देश की तू जान है।
तेरी ही तरक्की में
देश की ही पहचान है।
नशा एक जाल है।
दुश्मनों की ही चाल है।
यह खुद तो ना आबाद है।
देश की धरोहर को करना बर्बाद है।
मेरी हाथ जोड़ यही एक फरियाद है।
ना कर नशा तू
ना कर नशा तू ।
यह खुद तो बर्बाद है।
तेरी आबादी में
इसका ही तिरस्कार है। "
: - लवली निहालिया
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